Full width home advertisement

Travel the world

Climb the mountains

Post Page Advertisement [Top]

Dainik Bhaskar Hindi - bhaskarhindi.com, नई दिल्ली। कोविड-19 की उत्पत्ति की नए सिरे से जांच की मांग के बीच एक विस्फोटक स्टडी सामने आई है। इस स्टडी में दावा किया किया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान की लैब में इस वायरस को बनाया। इसके बाद वायरस के रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन के जरिए ट्रैक को कवर करने का प्रयास किया ताकि यह ऐसा दिखे कि वायरस की उतपत्ति चमगादड़ से प्राकृतिक रूप से हुई है।

डेली मेल ने रविवार को एक नए रिसर्च पेपर का हवाला देते हुए कहा कि नोवल कोरोनवायरस SARS-CoV-2 वायरस का कोई "विश्वसनीय प्राकृतिक पूर्वज" नहीं है और इसे चीनी वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया था, जो वुहान लैब में 'गेन ऑफ फंक्शन' प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डाल्गलिश और नार्वे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन ने इस रिसर्च पेपर को तैयार किया है।

नए शोध में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने चीन की उन गुफाओं से नेचुरल कोरोनावायरस बैकबोन को हासिल किया जिसमें चमगादड़ पाए जाते हैं। इसके बाद इस वायरस में एक नया स्पाइक मिला दिया जिससे यह घातक और अत्यधिक संक्रामक कोविड-19 में बदल गया। शोधकर्ताओं कोविड-19 सैंपल्स में यूनिक फिंगरप्रिंट्स भी मिले हैं जो ये बताते हैं कि ये केवल एक लेबोरेटरी में मेनिपुलेशन से ही उत्पन्न हो सकते हैं।

डेलीमेल डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, लेखक डाल्गलिश और सोरेनसेन ने अपने पेपर में लिखा है कि उनके पास करीब एक साल से चीन में रेट्रो-इंजीनियरिंग के प्रथम दृष्टया सबूत थे, लेकिन शिक्षाविदों और प्रमुख पत्रिकाओं ने इसे इग्नोर किया। स्टडी में ये भी आरोप लगाए गए हैं कि चीनी लैब में जानबूझकर डेटा को कंटेमिनेट और डिस्ट्रॉय किया गया। उन नोट्स को भी डिस्ट्रॉय किया गया जिसमें उन चीनी वैज्ञानिकों के गायब होने की जानकारी थी जिन्होंने इन एक्टिविटीज के बारे में बात की थी।

डेलीमेल डॉट कॉम के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, सोरेनसेन ने कहा कि स्पाइक पर चार अमीनो एसिड का पॉजिटिव चार्ज है, जिससे वायरस मानव के निगेटिव चार्ज वाले हिस्सों से कसकर चिपक जाता है और अधिक संक्रामक हो जाता है। उन्होंने कहा क्योंकि ये पॉजिटिव चार्ज अमीनो एसिड भी एक दूसरे को रिपील करते हैं, इसलिए  प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवों में एक पंक्ति में तीन अमीनो एसिड भी मिलना दुर्लभ है। जबकि एक पंक्ति में चार के मिलने की संभावना तो बिल्कुल ही कम है।

डाल्गलिश ने डेलीमेल डॉट कॉम को बताया कि लॉ ऑफ फिजिक्स के अनुसार एक पंक्ति में चार पॉजिटिवली चार्ज्ड अमीनो एसिड नहीं हो सकते हैं। इसे प्राप्त करने का एकमात्र तरीका यह है कि यदि आप कृत्रिम रूप से इसका निर्माण करते हैं। इस रिसर्च पेपर में वैज्ञानिकों ने लिखा है कि एक प्राकृतिक वायरस महामारी में धीरे-धीरे म्यूटेट होने और संक्रामक होने के साथ कम पैथोजनिक बनने की उम्मीद रहती है। लेकिन कोविड-19 के मामले में ऐसा नहीं हुआ।

डाल्गलिश और सोरेनसेन ने दावा किया कि महामारी शुरू होने के बाद, चीनी वैज्ञानिकों ने COVID-19 वायरस के नमूने लिए और इसे 'रेट्रो-इंजीनियर' किया, ताकि यह ऐसा लगे कि वायरस स्वाभाविक रूप से विकसित हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि चीनी वैज्ञानिक जो अपने नॉलेज को शेयर करना चाहते थे, वो ऐसा नहीं कर सके या फिर उन्हें गायब कर दिया गया।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब बहस के तेज होने की उम्मीद है कि कोरोनावायरस को चीन की लैब में तैयार किया गया है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने दावा किया था कि चीनी वैज्ञानिक तीसरे विश्व युद्ध के परिदृश्य की कल्पना करते हुए जैव हथियारों के बारे में सोच रहे थे। द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन अखबार ने चीनी सरकार के एक दस्तावेज का हवाला दिया जिसमें सार्स कोरोनावायरस के वेपेनाइजेशन पर चर्चा की गई थी।

हाल ही में, न्यूयॉर्क टाइम्स के पूर्व साइंस जर्नलिस्ट निकोलस वेड का बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स में एक लेख प्रकाशित हुआ था। इसमें उन्होंने कहा था कि इस बात के सबूत ज्यादा मजबूत है कि वायरस को प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। 



.Download Dainik Bhaskar Hindi App for Latest Hindi News.
.
...
Explosive study claims Chinese scientists created virus in lab
.
.
.


from दैनिक भास्कर हिंदी https://ift.tt/3uuVf3D
https://ift.tt/3vE8aSc

No comments:

Post a Comment

Bottom Ad [Post Page]