डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 22,145 sq.km एरिया में फैला इजराइल दुनिया का एक मात्र यहूदी देश है। भगौलिक दृष्टिकोण से ये इतना छोटा है कि अमेरिका के कैलिफोर्निया में 20 इजराइल आ सकते हैं। लेंथ में इज़रायल तकरीबन 420 किमी और वाइडेस्ट पॉइंट पर लगभग 115 किमी है। देश की सीमा नॉर्थ में लेबनान, नॉर्थ ईस्ट में सीरिया, ईस्ट में जॉर्डन, साउथ वेस्ट में इजिप्ट और वेस्ट में भूमध्य सागर से लगती है।
इजराइल की एक के बदले 10 की नीति
इतना छोटा होने के बावजूद टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स में पूरी दुनिया को इसने पीछे छोड़ दिया है। छोटी आबादी के बावजूद इजराइल ने अपने आप को इतना मजबूत कर लिया है कि ये हर चुनौती का सामना कर सकता है। इजराइल की एक नीति है। अगर आपने मेरे एक नागरिक को मारा तो मैं 10 को मारूंगा। दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद इजराइल का नाम दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में शामिल है। इसकी वजह है उसकी सुरक्षा एजेंसी मोसाद।
म्यूनिक ओलंपिक की घटना
1972 की म्यूनिक ओलंपिक की घटना है। फिलिस्तीनी आतंकियों ने म्यूनिक में इनके 11 खिलाड़ियों को मार दिया था। इजराइल ने इसका बदला लेते हुए पहले तो दो दिन में हजारों फिलिस्तीनी आतंकियों को मार गिराया। इसके बाद पूरी दुनिया में अगले 16 साल तक एक-एक कर उन सभी लोगों को ढूंड कर मारा गया जो इन खिलाड़ियों की हत्या में शामिल थे। ये सब कुछ उनकी खुफिया एजेंसी मोसाद की वजह से संभव हो पाया।
युगांडा में घुसकर अपने नागरिकों को बचाया
एक और घटना में 1976 में आतंकियों ने युगांडा में इजराइल के नागरिकों को बंधक बना लिया था। रातो-रात इजराइल ने युगांडा में घुसकर अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। 1967 में भी जब इजराइल और इजिप्ट की सीमा पर युद्ध शुरू हुआ था तो ये सभी अरब देशों तक फैल गया। इजराइल को मिटाने के लिए अरब देशों ने जॉर्डन में अपना बेस बनाकर अपने फाइटर जेट तैनात किए। सीमा पर मिलिट्री भी तैनात कर दी गई।
इजराइल ने जीता जून वॉर
इससे पहले की ये देश इजराइल पर हमला करते, इजराइल ने इस बेस पर हमला कर यहां तैनात फाइटर जेट्स को तबाह कर दिया। ये वॉर करीब 6 दिनों तक चला। जिसे जून वॉर के नाम से जाना जाता है। इजराइल ने न सिर्फ इस वॉर को जीता बल्कि कुछ एक्स्ट्रा लैंड पर भी अपना कब्जा जमा लिया।ष 1948 में इजराइल जब दुनिया के नक्शे के तौर पर एक अलग देश बना था। तब ये काफी छोटा था। लेकिन जब-जब दुश्मनों ने इस देश पर हमला किया तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा और अपनी कुछ जमीन भी खोनी पड़ी। इजराइल धीरे-धीरे कर इसी तरह अपनी जमीन बढ़ाता चला गया।
इजराइल कैसे बना इतना मजबूत देश?
ऐसे में सवाल उठता है कि इतना छोटा होने के बावजूद इजराइल इतना मजबूत देश कैसे बना? आज मजबूरी में ही सही लेकिन अरब देशों को उसने अपने सामने घुटने टेकने के लिए कैसे मजबूर किया? दरअसल, 90 लाख की आबादी वाले इस देश में हर किसी को आर्मी की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। पुरुषों के लिए पहले 36 महीनों की ट्रेनिंग लेना कंपलसरी थी जिसके बाद इसे घटाकर 32 महीने किया गया और फिर 30 महीने। महिलाओं के लिए भी 24 महीनों की ट्रेनिंग कंपलसरी है।
दुनिया का बड़ा आर्म एक्सपोर्टर है इजराइल
इसके अलावा टेक्नोलॉजी की मदद से इजराइल ने ऐसे-ऐसे आधुनिक हथियार बना लिए है जिसका उपयोग वो खुद को करता ही है साथ ही इसका एक्सपोर्ट भी किया जाता है। इजराइल का नाम दुनिया के बड़े आर्म एक्सपोटरों में आता है। तीन तरफ से दुश्मन देशों से घिरे इजराइल ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम भी तैयार किया है। इसे आयरन डोम कहा जाता है। ये एंटी मिसाइल सिस्टम इजरायल की एक ऐसी व्यूह रचना है, जो दुश्मन के खतरनाक से खतरनाक प्रहार को नाकाम कर देता है। ये हवा में ही दुश्मनों के दागे रॉकेटों को तबाह कर देता है। इस एंटी मिसाइल सिस्टम का सक्सेस रेट 90 प्रतिशत है।
इजरायल ने अपने लोगों की सुरक्षा के लिए पूरे देश में जगह जगह पर बंकर बनाए हैं। ऑफिस, घर, मॉल, प्ले ग्राउंड, होटल हर जगह ये बंकर है। दुश्मन जब भी इस देश पर हमला करता है तो सायरन बजना शुरू हो जाते हैं और नागरिक अलर्ट होकर इन बंकरों में चले जाते हैं। इजरायल अपनी इसी तरह की प्लानिंग की वजह से इतने जियोपॉलिटिकल अनस्टेबल इनवॉयरमेंट में इतना स्टेबल है और अपने लोगों की जान बचा पाता है।
मिडल ईस्ट की सिलिकॉन वैली
इकनॉमी के लिहाज से भी इजरायल एक मजबूत देश है। दुनिया के अमीर देशों की लिस्ट में इजरायल का नाम शुमार होता है। पूरी दुनिया में इजराइल, हॉन्ग कॉन्ग और दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को सबसे स्थिर माना जाता है। ऐसा शून्य मंहगाई दर और बेरोजगारी में भारी कमी के आधार पर कहा जाता है। इसे मिडल ईस्ट की सिलिकॉन वैली कहा जाता है। वॉरेन बफे और बिल गेट्स भी कहते हैं कि इजराइल उन स्टेबल देशों में है जहां आप इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
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